Rajasthan GK - महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया


Maharana Pratap Singh Sisodia
 

महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया

राजस्थान के वीर योद्धा एवं सच्चे सपूत  महाराणा प्रताप की जीवन गाथा

जन्म - 9 मई 1540 - ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया
जन्म स्थान -  कुंभलगढ़ दुर्ग 
में ( कुंभलगढ़ दुर्ग के अंदर स्थित कटार गढ़ के बादल महल में)
पिता का नाम  - महाराणा  उदय सिंह
माता का नाम - माता रानी जयवंता कंवर
बचपन का नाम- 
नील,नीला घोड़ा रो असवार, कीका( भीलो द्वारा दिया गया नाम । भील अपने पुत्र को किका कहते हैं) 
पत्नी का नाम  - अजबदे एवं अन्य
उत्तराधिकारी - अमर सिंह प्रथम( महाराणा प्रताप के 17 पुत्र तथा 5  पुत्रियां थी।
राज्यारोहण - 28 फरवरी 1572  को गोगुंदा में 32 वर्ष की आयु में पिता की मृत्यु के उपरांत
राजधानी-   मेवाड़ (उदयपुर) । राजधानी का क्रम - गोगुंदा, कुंभलगढ़  (हल्दीघाटी युद्ध के बाद) , चावंड (दिवेर युद्ध के बाद 1585 से)
 महाराणा प्रताप की लंबाई 7 फुट 5 इंच व वजन 110 किलो था।

महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो
महाराणा प्रताप के कवच का वजन 72 किलो
भाले, कवच तथा तलवार का कुल वजन 208  किलो था

चावंड  (वर्तमान  में  उदयपुर जिले की सराड़ा तहसील में )
गोगुंदा (वर्तमान  में  उदयपुर जिले की गोगुंदा तहसील में )

हल्दीघाटी(वर्तमान में तहसील नाथद्वारा जिला राजसमंद में )
दिवेर (वर्तमान  में राजसमंद जिले की भीम तहसील में )
कुंभलगढ़ (वर्तमान में जिला राजसमंद की कुंभलगढ़ तहसील में)
 खमनोर  (वर्तमान में  राजसमंद जिले की  खमनोर तहसील में है)

सहायता - भामाशाह नामक व्यक्ति द्वारा अपनी संपूर्ण संपत्ति

घोड़ा - चेतक 



हाथी - रामप्रसाद (पीर प्रसाद - अकबर द्वारा दिया गया नाम) तथा लूना ।
 मुगल सेना द्वारा हाथी रामप्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसे कई दिन तक यातनाएं दी गई । उसके पश्चात भी उसने भोजन करना स्वीकार नहीं किया और अंततः अपने प्राणों को त्याग दिया। इस घटना के बाद अकबर ने स्वयं यह बात अपने मुंह से कहीं की जब मैं महाराणा प्रताप  के एक हाथी को अपने सामने नहीं झुका पाया तो मैं महाराणा प्रताप को कैसे अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए झुका पाता।

 निधन -19 जनवरी 1597 चावंड
 स्मारक - महाराणा प्रताप की छतरी    बाडोली  (उदयपुर) में है।


चेतक की जिस स्थान पर  मृत्यु हुई आज वहां चेतक की छतरी है। यह स्थान बलीचा गांव के निकट स्थित है



                    














हल्दीघाटी (रक्त तलाई ) का युद्ध




 











हल्दीघाटी युद्ध से पहले अकबर द्वारा भेजे गए 
4 वार्ताकार
1. जलाल खान नवंबर 1572
2. मानसिंह जून 1573
3. भगवंत दास सितंबर 1573
4. टोडरमल दिसंबर 1573
(Code to Learn - JMBT )

हल्दीघाटी युद्ध 18 जून 1576 - एक  दिन का युद्ध 
( युद्ध केवल 4 घंटे चला)।
महाराणा प्रताप तथा अकबर की सेना के बीच।
अकबर की तरफ से आमेर के राजा मानसिंह प्रथम (अकबर का सेनापति) से ।
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खां सूर एक मात्र मुगल  सेनापति था।
हल्दीघाटी युद्ध में राणा पूंजा भील द्वारा महाराणा प्रताप की ओर से युद्ध लड़ा गया।



 हल्दीघाटी के युद्ध को मुगल इतिहासकार अबुल फजल ने खमनोर का युद्ध कहा है
हल्दीघाटी के युद्ध को बदायूनी   ने गोगुंदा का युद्ध भी कहा गया है। मुगल इतिहासकार बदायूनी  हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की ओर से युद्ध स्थल पर उपस्थित थे तथा उसने युद्ध का आंखों देखा हाल लिखा है।
 कर्नल James Tod  ने हल्दीघाटी के युद्ध को मेवाड़ की थर्मोपोली कहा है।
हल्दीघाटी को रक्त तलाई भी कहते हैं (हल्दीघाटी के युद्ध में अत्यधिक रक्त बहने के कारण)

 हल्दीघाटी वर्तमान में गोगुंदा के पास राजसमंद जिले में स्थित है । हल्दीघाटी स्थल अरावली पर्वतमाला में खमनोर व बलीचा गांव के बीच स्थित एक सकड़ा दर्रा है।

महाराणा प्रताप से जुडी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
 


हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने तलवार के एक ही वार से       बहलोल खान   तथा उसके घोड़े के दो टुकड़े कर दिए थे।



 हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के मुगलों की सेना के बीच घिर जाने के बाद   सरदार मन्नाजी( मान / बीदा) झाला ने महाराणा प्रताप का राज चिन्ह अपने साथ रख अपने प्राणों का बलिदान किया तथा महाराणा प्रताप की जान बचाई।

मेवाड़ के राज्य चिन्ह में  एक तरफ महाराणा प्रताप (राजपूत) का चित्र और दूसरी तरफ (भील) राणा पूंजा का चित्र अंकित है।













मेवाड़ के राजा का राजतिलक भील सरदार द्वारा अपने अंगूठे से निकले रक्त से किया जाता था।

 हल्दीघाटी युद्ध के समय अकबर ने अपने सेनापतियों को दो काम विशेष रूप से करने के आदेश दिए थे । अकबर ने अपने सेनापतियों को महाराणा प्रताप और महाराणा प्रताप के प्रिय हाथी रामप्रसाद दोनों को जिंदा गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे।

महाराणा प्रताप युद्ध के समय अपने साथ दो तलवार रखते थे एक तलवार स्वयं के लिए तथा दूसरी तलवार निहत्थे शत्रु के लिए होती थी। प्रत्येक तलवार का वजन लगभग 50 किलो होता था।

महाराणा प्रताप ने मायरा की गुफा रहकर हल्दीघाटी युद्ध तथा अन्य युद्ध की रणनीति बनाई। मायरा की गुफा ईसवाल और गोगुंदा के मध्य स्थित है । इस गुफा के एक हिस्से को महाराणा प्रताप ने शस्त्रागार बना रखा था । इसी गुफा में जानवरों के बांधने के लिए भी स्थान था । महाराणा प्रताप अपने प्रिय चेतक को इसी गुफा में रखते थे । इसी गुफा में हिंगलाज माता का मंदिर भी है। महाराणा प्रताप ने इस गुफा को इसलिए चुना क्योंकि यह गुफा पूर्ण रूप से सुरक्षित थी। इसके नजदीक चले जाने पर भी इसका मुख्य द्वार नजर नहीं आता था । साथ ही इसके यहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं थी।

 महाराणा प्रताप की मृत्यु किसी युद्ध में अथवा युद्ध के दौरान चोट से नहीं हुई।  महाराणा प्रताप की मृत्यु धनुष की डोर खींचने से आंत में चोट लगने के कारण हुई थी।

ऐसा कहा जाता है कि चेतक एक नीले रंग का घोड़ा था इसीलिए महाराणा प्रताप को नीला घोड़ा रो असवार से  संबोधित किया जाता है

महाराणा प्रताप हल्दीघाटी युद्ध में जब घायल होकर जा रहे थे तो उनके छोटे भाई शक्ति सिंह ने उन्हें देख लिया। शक्ति सिंह वैसे तो अकबर की सेना के साथ महाराणा प्रताप के विरुद्ध लड़ रहे थे ।लेकिन महाराणा प्रताप को घायल देख उनका प्रेम जाग उठा और उन्होंने महाराणा प्रताप की सहायता की।

प्रबल शत्रु होने के बावजूद भी अकबर महाराणा प्रताप की प्रशंसा करता था। जब महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार अकबर के पास पहुंचा तो अकबर की आंखों से आंसू टपक पड़े । और उसने अपने उद्गार इस प्रकार व्यक्त किए - कि जिस महाराणा प्रताप के एक हाथी को मैं नहीं झुका पाया तो मैं महाराणा प्रताप को कैसे  झुका सकता था।


महाराणा प्रताप द्वारा लड़े गए प्रसिद्ध  युद्ध


हल्दीघाटी का युद्ध -18 जून 1576  - महाराणा प्रताप तथा मुगल सेना - यह युद्ध मात्र 4 घंटे चला। हल्दीघाटी युद्ध के बाद मुख्य सेनापति मानसिंह तथा आसफ खान   को अकबर ने 6 महीने तक दरबार में उपस्थित नहीं होने दिया। हल्दीघाटी वर्तमान में राजसमंद जिले में है।

दिवेर छापली का  युद्ध  - 26 अक्टूबर 1582 - विजयादशमी - महाराणा प्रताप तथा मुगल सेना।  महाराणा प्रताप ने मुगल सेना को बुरी तरह से हराया। दिवेर वर्तमान में राजसमंद जिले में है। यह युद्ध महाराणा प्रताप द्वारा छापामार पद्धति से लड़ा गया। कर्नल जेम्स टॉड दिवेर युद्ध को " मेवाड़ का मैराथन युद्ध " कहा है ।


 अन्य महत्वपूर्ण लिंक
 

 महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया - Rajasthan competition GK

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/12/maharana-pratap.html

Important Industries of Rajasthan

राजस्थान के प्रमुख उद्योग

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/10/Industries-Rajasthan.html

Mineral Resources of Rajasthan-राजस्थान के खनिज संसाधन

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/10/Mineral-Resources-Rajasthan.html

Peasant and Tribal Movement of Rajasthan 

 राजस्थान के किसान एवं जनजातीय आंदोलन

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/10/Peasant-Tribal-Movement.html

Rivers of Rajasthan- राजस्थान की नदियां

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/10/Rivers-Rajasthan.html

Integration of Rajasthan - राजस्थान का एकीकरण  

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/10/Integration-Rajasthan.html


Rajasthan An introduction-राजस्थान एक परिचय

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/Different-Princely-States-Rajasthan.html


https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/Sources-Rajasthan-History.html

Titles and Nicknames of Kings of Rajasthan - राजस्थान के राजाओं के उपनाम व उपाधियाँ

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/Titles-Nicknames-Kings-Rajasthan.html

Revolt of 1857 in Rajasthan - राजस्थान में  1857 की क्रांति

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/Revolt-1857-Rajasthan.html

Traditions of Rajasthan - राजस्थान की प्रथाएं 

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/traditions-rajasthan.html


Rituals of Rajasthan - राजस्थान के रीति रिवाज

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/Rituals-Rajasthan.html

Famous Lok saints of Rajasthan - राजस्थान के प्रसिद्ध लोक संत

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/famous-lok-saints-rajasthan.html

Lok Deviya of Rajasthan - राजस्थान की लोक देवियां

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/lok-deviya-rajasthan.html


Famous Lok Devta of Rajasthan- राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/09/famous-lok-devta-rajasthan.html


Archaelogical Sites of Rajasthan-राजस्थान के पुरातात्विक स्थल

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/08/Archaelogical-Sites-Rajasthan.html

Famous Forts and Palaces of Rajasthan -  राजस्थान के प्रसिद्ध दुर्ग एवं महल

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/08/Forts-Palaces-Rajasthan.html

Famous Books and Their Authors of Rajasthan-राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक और उनकी पुस्तकें

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/08/famous-books-authors-rajasthan.html

 Important Battles of Rajasthan-राजस्थान के महत्वपूर्ण युद्ध

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/08/Important-Battles-Rajasthan.html

https://rajasthangkaashishsir.blogspot.com/2020/08/Nicknames-Cities-Rajasthan.html

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Rajasthan GK - Famous Books and Authors of Rajasthan

Rajasthan GK - Famous Lok Saints of Rajasthan