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Rajasthan GK - राजस्थान में विश्व धरोहर

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World Heritage Sites of Rajasthan By Aashish Gupta Sir राजस्थान में                  विश्व धरोहर स्थल 1. राजस्थान के 6 पहाड़ी दुर्गों को 2013 में विश्व धरोहर में शामिल किया गया । ये पहाड़ी दुर्ग है - चित्तौड़ का दुर्ग, चित्तौड़ जिला चित्तौड़गढ़ रणथंभौर का दुर्ग, रणथंभौर जिला सवाई माधोपुर आमेर का दुर्ग , आमेर जिला जयपुर गागरोन का दुर्ग, झालावाड़ जैसलमेर का दुर्ग, जैसलमेर कुंभलगढ़ का दुर्ग,  कुंभलगढ़ जिला राजसमंद 2. राजस्थान के  केवलादेव (घाना) राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर को  1985 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। 3. राजस्थान में स्थित जयपुर के जंतर मंतर को विश्व धरोहर सूची में 2010 में शामिल किया गया। 4. गुलाबी शहर जयपुर को विश्व धरोहर सूची में 2019 में शामिल किया गया।   Ramsar Convention ईरान के  रामसर नामक स्थान पर 2 फरवरी 1971 को विश्व के विभिन्न Wetlands को संरक्षित करने हेतु विश्व के देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए । यह समझौता 21 दिसंबर 1975 से लागू हुआ। भारत में भी कई स्थानों को रामसर कन्वेंशन के तहत संरक्षित Wetlands  घोषित किया गया है। रामसर कन्वेंशन के तहत शाम

Rajasthan GK - राजस्थान में वन्य जीव संरक्षण

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Wild Life Conservation In Rajasthan   By Aashish Gupta  राजस्थान में वन्य जीव संरक्षण राजस्थान में स्थित राष्ट्रीय उद्यान राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान,        रणथंभौर  (सवाई माधोपुर) Rajiv Gandhi National Park Ranthanbore(Sawai Madhopur)  इसे 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया। इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा 1 नवंबर 1980 को मिला। यह राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान है यहां भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ (Tiger) संरक्षित है । यह राजस्थान का पहला  Project Tiger है। केवलादेव  राष्ट्रीय  उद्यान,  भरतपुर Kevla Dev National Park  Bharatpur      इसे घाना पक्षी अभयारण्य (Ghana Bird Century) भी कहते हैं । यह उद्यान पक्षियों के लिए स्वर्ग माना जाता है । इसे 1981 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया । यहां विदेशी पक्षी भी आते हैं। यह उद्यान साइबेरियन क्रेन के लिए विख्यात है। यह पक्षी प्रत्येक वर्ष नवंबर दिसंबर के माह में साइबेरिया से उड़कर यहां आते हैं और प्रजनन करते हैं और फरवरी-मार्च में  अपने बच्चों के साथ पुनः साइबेरिया चले जाते हैं। इस उद्यान का नाम केवलादेव अर्थात शिव जी